बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ : जिला स्तरीय टास्क फोर्स गठित
अजमेर। जिला कलेक्टर गौरव गेायल की अध्यक्षता में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के लिए जिला स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
गोयल ने बताया कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की जिला स्तरीय टास्क फोर्स के लिए महिला अधिकारिता विभाग के कार्यक्रम अधिकारी नगेन्द्र कुमार तोलम्बिया को नोडल अधिकारी बनाया गया है। इस टास्क फोर्स के द्वारा अभियान के लिए निर्धारित लक्ष्यों की मोनिटरिंग कर पूर्ण करवाए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि जिले में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के अन्तर्गत जिले में प्रतिवर्ष लिंगानुपात में 2 अंकों की वृद्धि करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए पीसीपीएनडीटी सहित विभिन्न प्रावधानों को प्रभावी तरीके से अमल में लाया जाएगा। जिले में शिशु मृत्यु दर में कमी करने के साथ ही लिंगभेद को कम करने के लिए प्रयास किए जाएंगे। सुरक्षित मातृत्व की दिशा में आगे बढ़ते हुए संस्थागत प्रसव में प्रतिवर्ष 1.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी।
उन्होंने बताया कि बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए माध्यमिक शिक्षा में बालिकाओं का अनुपात बढ़ाया जाएगा। बालिकाओं की ड्रॉप आउट रेट को कम करने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा विशेष प्रयास किए जाएंगे। इसके साथ ही जिले के समस्त विद्यालयों में बालिकाओं के लिए पृथक शौचालयों की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।
उन्होंने बताया कि बालिकाओं के पोषण स्तर में सुधार करने के लिए समयकित बाल विकास सेवाओं की सार्वत्रिक उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। बालिकाओं में रक्तालप्ता को दूर करने के लिए 5 वर्ष से कम उम्र में ही आयरन एवं विटामिन के लिए पूरक पोषाहार के बारे में जागरूक करने का कार्य किया जाएगा।
गोयल ने बताया कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की जिला स्तरीय टास्क फोर्स के लिए महिला अधिकारिता विभाग के कार्यक्रम अधिकारी नगेन्द्र कुमार तोलम्बिया को नोडल अधिकारी बनाया गया है। इस टास्क फोर्स के द्वारा अभियान के लिए निर्धारित लक्ष्यों की मोनिटरिंग कर पूर्ण करवाए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि जिले में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के अन्तर्गत जिले में प्रतिवर्ष लिंगानुपात में 2 अंकों की वृद्धि करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए पीसीपीएनडीटी सहित विभिन्न प्रावधानों को प्रभावी तरीके से अमल में लाया जाएगा। जिले में शिशु मृत्यु दर में कमी करने के साथ ही लिंगभेद को कम करने के लिए प्रयास किए जाएंगे। सुरक्षित मातृत्व की दिशा में आगे बढ़ते हुए संस्थागत प्रसव में प्रतिवर्ष 1.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी।
उन्होंने बताया कि बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए माध्यमिक शिक्षा में बालिकाओं का अनुपात बढ़ाया जाएगा। बालिकाओं की ड्रॉप आउट रेट को कम करने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा विशेष प्रयास किए जाएंगे। इसके साथ ही जिले के समस्त विद्यालयों में बालिकाओं के लिए पृथक शौचालयों की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।
उन्होंने बताया कि बालिकाओं के पोषण स्तर में सुधार करने के लिए समयकित बाल विकास सेवाओं की सार्वत्रिक उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। बालिकाओं में रक्तालप्ता को दूर करने के लिए 5 वर्ष से कम उम्र में ही आयरन एवं विटामिन के लिए पूरक पोषाहार के बारे में जागरूक करने का कार्य किया जाएगा।