सिंधी भाषा विश्व में विख्यात महानतम मधुर भाषा : लबाना
अजमेर। शनिवार को सिंधी भाषा की संविधान में आठवीं अनुसूचि में भारत सरकार द्वारा मान्यता प्रदान किये जाने के लिए पूज्य सिंधी पंचायत अजमेर द्वारा आर्य समाज संस्था नला बाजार मून्दड़ी मौहल्ला अजमेर भवन में आयोजित सिंधी भाषा के लिए आज के अवसर पर चुनौतियां विषय एवं सिंधी भाषा को प्रदान मान्यता की स्वर्ण जयंती वर्ष के समापन अवसर कार्यक्रम के अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप सिंधी भाषा एवं लिपि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दैनिक राज्यादेश सिंधी एवं मरूप्रहार के मुख्य सम्पादक सरदार गोपाल सिंह लबाना ने कहा कि सिंधी भाषा विश्व की विख्यात महानतम एवं मधुर भाषा है। जिसे बोलने से विश्व के हर स्थान का निवासी प्रभावित होये बिना नहीं रहता। सरदार गोपाल सिंह ने बताया कि मेरा पिछले 60 साल से इस भाषा एवं लिपि से वास्ता है इसलिए मेरा अनुभव है कि इसको मधुर भाषा के रूप में जाना एवं पहचाना जाता है।
पूज्य सिंधी पंचायत अजमेर के महासचिव रमेश लालवानी ने बताया कि 10 अप्रेल 1957 के दिन सिंधी भाषा को भारत के संविधान की आठवी अनुसूचि में मान्यता प्रदान की गई थी परन्तु लिपि का आज तक निर्णय नहीं हो पाना हमारे लिये खेद का विषय है रमेश लालवानी ने कहा कि आज हमारे समाज ने युवा पीढि को देवनागिरी लिपि के प्रयोग हेतु भी प्रेरित करना जारी रखा है।अध्यक्षता आर्य समाज संस्था की प्रधाना चन्द्रा देवनानी ने करते हएु कहा कि हम सबका दायित्व है कि विश्व की प्राचीनतम भाषा को संजोये रखें।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रमेश चेलानी तथा घनश्याम ग्वालानी रहे। इस अवसर पर वयोवृद्व समाजसेवी चतुर मूलचन्दानी, महेश हून्दलानी, निर्मला हून्दलानी, ज्योति तोलानी, प्रीती शर्मा, किशन प्यारी अग्रवाल, लक्ष्मणदास वाधवानी, थांवरदास टोरानी, काजल जेठवानी, किशोर विधानी, राजेश झूरानी, नानक गजवानी, लालचन्द आर्य सहित अनेक अन्य उपस्थित थे।
पूज्य सिंधी पंचायत अजमेर के महासचिव रमेश लालवानी ने बताया कि 10 अप्रेल 1957 के दिन सिंधी भाषा को भारत के संविधान की आठवी अनुसूचि में मान्यता प्रदान की गई थी परन्तु लिपि का आज तक निर्णय नहीं हो पाना हमारे लिये खेद का विषय है रमेश लालवानी ने कहा कि आज हमारे समाज ने युवा पीढि को देवनागिरी लिपि के प्रयोग हेतु भी प्रेरित करना जारी रखा है।अध्यक्षता आर्य समाज संस्था की प्रधाना चन्द्रा देवनानी ने करते हएु कहा कि हम सबका दायित्व है कि विश्व की प्राचीनतम भाषा को संजोये रखें।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रमेश चेलानी तथा घनश्याम ग्वालानी रहे। इस अवसर पर वयोवृद्व समाजसेवी चतुर मूलचन्दानी, महेश हून्दलानी, निर्मला हून्दलानी, ज्योति तोलानी, प्रीती शर्मा, किशन प्यारी अग्रवाल, लक्ष्मणदास वाधवानी, थांवरदास टोरानी, काजल जेठवानी, किशोर विधानी, राजेश झूरानी, नानक गजवानी, लालचन्द आर्य सहित अनेक अन्य उपस्थित थे।