मीट शॉप्स हटाने की मांग पर विहिप नेता ने किया आत्मदाह
हरिद्वार। हरिद्वार के ज्वालापुर क्षेत्र से मीट की दुकानों को हटाए जाने की मांग को लेकर आज विश्व हिंदू परिषद के एक नेता ने खुद को आग लगाकर आत्मदाह कर लिया। इसके बाद उसे गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई। आत्मदाह करने वाला शख्स विहिप नेता चरणजीत पहावा बताया जा रहा है और वे लम्बे समय से अपनी इस मांग को लेकर प्रशासन से लेकर शासन तक गुहार लगा चुके हैं। कोई कार्यवाही नहीं होती देख आज आखिरकार पहावा ने ज्वालापुर कोतवाली की रेल चौकी के बाहर खुद को मिट्टी तेल डालकर आग के हवाले कर दिया।
अपनी मांग पर कोई कार्यवाही नहीं होती देख परेशान होकर विहिप नेता पहावा ने आत्मदाह किया, जिसके बाद पूरे पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। गंभीर हालत में पहावा को जिला चिकित्सालय ले जाया गया, जहां उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें हायर सेंटर रैफर कर दिया गया। इस घटना से विहिप नेताओं में प्रशासन के खिलाफ काफी रोष है।
विहिप के जिलाध्यक्ष नितिन गौतम का कहना है कि लंबे समय से चरणजीत पावा अवैध मांस की दुकानों और हरिद्वार को शराब मुक्त करने के लिए प्रशासन से मांग कर रहा था। 10 दिन पूर्व भी उन्होंने एक पत्र प्रशासन को दिया था, जिसमें मांस की दुकानें नहीं हटाए जाने पर आत्मदाह की चेतावनी दी थी। लेकिन शासन प्रशासन की ओर से किसी ने भी विनीता से कोई बात नहीं की, जिसके परिणाम स्वरुप आज उन्होंने खुद को मिट्टी तेल डालकर आग के हवाले कर दिया। गौतम ने आरोप लगाया कि वहां मौके पर पानी की वैन तो खड़ी कर रखी थी, लेकिन किसी पुलिस प्रशासन के अधिकारी ने आग बुझाने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण वे 50 फीसदी से अधिक जल गए।
विहिप नेता को प्राथमिक उपचार देने वाले डॉक्टर संदीप टंडन का कहना है कि वह गंभीर रूप से झुलसे हुए हैं। उनको पुलिस और कार्यकर्ताओं द्वारा अस्पताल में लाया गया है। गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें हायर सेंटर रेफर किया गया है। इस संबंध में तहसीलदार सुनैना राणा का कहना है कि घायल को हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है और इससे ज्यादा से और कुछ नहीं कह सकती। वहीं इस मामले में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि इस संबंध में समय आने पर जरूर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन की ओर से कोई लापरवाही की गई होगी तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि ज्वालापुर क्षेत्र में अवैध रूप से चल रही मांस की दुकानों को हटाने की मांग पिछले कई सालों से विहिप नेता करते आ रहे हैं। लेकिन मांस विक्रेताओं के दबाव के चलते आज तक शासन प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाया, जिसका परिणाम आज आत्मदाह के रूप में सामने आया है। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कब तक प्रशासन इसको लेकर कुंभकर्णी नींद से जागता है।
अपनी मांग पर कोई कार्यवाही नहीं होती देख परेशान होकर विहिप नेता पहावा ने आत्मदाह किया, जिसके बाद पूरे पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। गंभीर हालत में पहावा को जिला चिकित्सालय ले जाया गया, जहां उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें हायर सेंटर रैफर कर दिया गया। इस घटना से विहिप नेताओं में प्रशासन के खिलाफ काफी रोष है।
विहिप के जिलाध्यक्ष नितिन गौतम का कहना है कि लंबे समय से चरणजीत पावा अवैध मांस की दुकानों और हरिद्वार को शराब मुक्त करने के लिए प्रशासन से मांग कर रहा था। 10 दिन पूर्व भी उन्होंने एक पत्र प्रशासन को दिया था, जिसमें मांस की दुकानें नहीं हटाए जाने पर आत्मदाह की चेतावनी दी थी। लेकिन शासन प्रशासन की ओर से किसी ने भी विनीता से कोई बात नहीं की, जिसके परिणाम स्वरुप आज उन्होंने खुद को मिट्टी तेल डालकर आग के हवाले कर दिया। गौतम ने आरोप लगाया कि वहां मौके पर पानी की वैन तो खड़ी कर रखी थी, लेकिन किसी पुलिस प्रशासन के अधिकारी ने आग बुझाने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण वे 50 फीसदी से अधिक जल गए।
विहिप नेता को प्राथमिक उपचार देने वाले डॉक्टर संदीप टंडन का कहना है कि वह गंभीर रूप से झुलसे हुए हैं। उनको पुलिस और कार्यकर्ताओं द्वारा अस्पताल में लाया गया है। गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें हायर सेंटर रेफर किया गया है। इस संबंध में तहसीलदार सुनैना राणा का कहना है कि घायल को हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है और इससे ज्यादा से और कुछ नहीं कह सकती। वहीं इस मामले में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि इस संबंध में समय आने पर जरूर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन की ओर से कोई लापरवाही की गई होगी तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि ज्वालापुर क्षेत्र में अवैध रूप से चल रही मांस की दुकानों को हटाने की मांग पिछले कई सालों से विहिप नेता करते आ रहे हैं। लेकिन मांस विक्रेताओं के दबाव के चलते आज तक शासन प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाया, जिसका परिणाम आज आत्मदाह के रूप में सामने आया है। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कब तक प्रशासन इसको लेकर कुंभकर्णी नींद से जागता है।